Wednesday 11 September 2013

क्या विभिन्नता सिर्फ भारत में ही पायी जाती है?

एक किस्सा सुनाता हूँ। फिर आप खुद फैसला कर लीजीयेगा।

लोग कहते कि अमरीका में अमरीकी, बरतानीया में बरतानवी, और फ्रांस में फ्रांसिसी रहते हैं। लेकिन हिन्दुस्तान में पंजाबी, मराठी, तमिल, और पता नही कौन कौन रहता है। मैंने भी बिना सोच विचार किये इस बात को मान लिया। 

अमरीका गया तो चांटे पड़ते-पड़ते बचे। पता चला काला अमरीकी, गोरा अमरीकी, लातीनो अमरीकी, और ना जाने कहाँ कहाँ के अमरीकी हैं। ये तो वही बात हो गयी कि तमिल बंदे से हिन्दी में बात कर ली। जूते पड़ना तो लाज़मी है।

अमरीका से जान बचायी तो फिर बरतानीया भागा। वहां पता चला सकाॅटलैंड वाले बरतानीया से अलग होने की त्यारी कर रहें हैं। इस से पहिले कि फिर से जूते पड़े मैं चीन की तरफ हो लिया।

मैंने सोचा कि चीन में सिर्फ चीनी मिलेंगे। लेकिन मुझे क्या पता था कि तिब्बती मुझे किडनैप कर लेगें, वीगर मुझे थपड़ मारेगें, मंगोल मेरे साथ बात करने से इनकार कर देगें, और कानतोनी मुझे गालीयां निकालेगें क्यों कि मैनें सब को मैंनडारिन (चीनी) समझ लिया था। और तो और मालूम हुआ कि चीनी नाम की कोई भाषा ही नही है। लगभग 70 फीसद आबादी मैंनडारिन बोलती है।

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