Sunday 15 November 2015

Художник и часы - फनकार और घड़ी

यह सोवियत संघ या रूस के कहानीकार दानियन ख़ारमस की कहानी फनकार और घड़ी का हिन्दी अनुवाद है। ख़ारमस को जाने हूये ज़्यादा वक्त नही हुआ है मुझे, लेकिन इस लेखक ने अभी से मेरा मन को काबू में कर लिया है। 

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फनकार और घड़ी

सीरोव, एक फनकार, अबवोदनी नहर की तरफ़ गया। वह उस तरफ़ क्यों गया? रबड़ खरीदने के लिए। लेकिन उसे रबड़ क्यों चाहीये थी? एक रबड़बैंड बनाने के लिए। लेकिन उसे रबड़बैंड क्यों चाहीये था? खीचने के लिए। बस इतनी सी बात। और क्या? एक और चीज़: फनकार सीरोव ने अपनी घड़ी तोड़ दी थी। घड़ी अछीभली काम कर रही थी कि उस ने उसे अपने हाथों में लिया और तोड़ दिया। अब और क्या? कुछ भी नही, बस खत्म। अपने काम से काम रखो जब तक कोई बुलाए नही। और भगवान तुम को सलामत रखे।

एक बार एक बुड़ीया थी। बहुत लंबे अरसे तक ज़िंदा रही और फिर एक दिन सटोव की आग में झुलस कर मर गयी। ऐसा ही होना चाहीये था उस के साथ। कम से कम सीरोव का तो यही सोचना था...

ये क्या हुआ? अभी और लिखना था लेकिन मेरी दवात कहीं खो गयी लगती है... 

22 अक्तूबर 1938 

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Художник и часы
  Серов,  художник,  пошел на Обводной канал.  Зачем он туда пошел?  Покупать резину. Зачем ему резина? Чтобы сделать себе  резинку. А зачем ему резинка? А чтобы ее растягивать. Вот. Что еще? А еще вот что:  художникСеров поломал свои часы. Часы хорошо ходили, а он их взял и поломал. Чего еще? А боле ничего. Ничего, и всЯ тут! И свое поганое  рыло куда не надо не суй! Господи помилуй!

    Жила-была старушка. Жила, жила и сгорелав печке. Туда ей и дорога!  Серов, художник, по крайней мере так рассудил...

    Эх!  Написать бы еще, да чернильница куда-то исчезла.
22 октября 1938 года.

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P.S.  यब तरजुमा रूसी भाषा से किया गया है। क्यों कि मैं अभी भी रूसी में माहिर नही हूँ और क्यों कि पंजाबी (ना कि हिन्दी) मेरी मादरी ज़ुबान है, इस लिए हौ सकता है कि मुझ से अनुवाद में कुछ गलतीयां हो गयी हों। उस गलतीयों के लिए मुझे माफ कर दीजीये और कहानी का मज़ा लीजीये।

Это рассказ "Художник и часы" русского писателя Даниила Хармса на хинди.